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Showing posts from January, 2024
 साहिब-दिल्ली आने तक के पैसे नही है कृपया पुरुस्कार डाक से भिजवा दो! हलधर नाग-जिसके नाम के आगे कभी श्री नही लगाया गया, 3 जोड़ी कपड़े, एक टूटी रबड़ की चप्पल एक बिन कमानी का चश्मा और जमा पूंजी 732रु का मालिक पद्मश्री से उद्घोषित होता है। ये हैं ओड़िशा के हलधर नाग जो कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। देश के सच्चे सेवकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए अभिनंदन 🙏🙏
 कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें...  सच समझें कॉन्वेंट का मतलब क्या है? ‘काँन्वेंट’ !  सब से  पहले तो  यह  जानना आवश्यक है  कि, ये शब्द आखिर आया कहाँ से है, तो आइये प्रकाश डालते हैं। ब्रिटेन  में  एक  कानून था, " लिव इन रिलेशनशिप " बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना,  तो इस प्रक्रिया के अनुसार  संतान भी  पैदा हो जाती थी  तो उन संतानों  को किसी  चर्च में  छोड़  दिया जाता था। अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए तब वहाँ की सरकार ने  काँन्वेंट खोले अर्थात्  जो बच्चे अनाथ होने के साथ-साथ नाजायज हैं , उनके लिए ये काँन्वेंट बने। उन अनाथ और नाजायज बच्चों को रिश्तों का एहसास कराने के लिए उन्होंने अनाथालयो में एक फादर एक मदर एक सिस्टर की नियुक्ति कर दी क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है ना ही माँ है। तो काँन्वेन्ट बना नाजायज बच्चों के लिए जायज। इंग्लैंड में पहला काँन्वेंट स्कूल सन्  1609 के आसपास एक चर्च में खोला गया...