प्रयाग प्रशस्ति प्राचीन समय में इलाहबाद (अब प्रयागराज) का नाम प्रयाग था. यह उत्तरप्रदेश के प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक माना जाता है. अगर इतिहास पर नज़र डाले तो कहा जाता है कि ब्राह्मांड की शुरुआत प्रयाग से हुई थी. इलाहाबाद (अब प्रयागराज) को संगम नगरी, कुम्भ नगरी, तीर्थराज भी कहा जाता है. यह गंगा, यमुना तथा गुप्त सरस्वती नदियों पर स्थित है. संगम के करीब का क्षेत्र जो अब झूंसी क्षेत्र है वह चंद्रवंशी मनु की संतान और इला यानी चंद्र , राजा पुरुरव का राज्य था. यहां तक कि कौशाम्भी जो इसके पास ही था वो भी वत्स और मौर्य शासन के दौरान समृद्धि से उभर रहा था. चीनी यात्री हुआन त्सांग ने 643 ई०पू० में पाया कि कई हिंदुओं प्रयाग में निवास करते थे क्योंकि वह इस जगह को अति पवित्र मानते थे. अनेक भ्रष्टराज्योत्सन्न-राजवंश प्रतिष्ठापनोद्भूत- निखिल भुवन विचरण-शान्त यशसः॥” — प्रयाग प्रशस्ति, कवि हरिषेण सम्राट समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित लेख था। इस लेख को समुद्रगुप्त द्वारा 370 ई में कौशाम्बी से लाये गए अशोक स्तंभ पर खुदवाया गया था। इसमें उन राज्यों का वर्णन है जिन्होंने समुद्र...
Posts
Showing posts from February, 2024